“… सपनों के टूटकर बिखरने पर या एक हार के मिलने पर
खुशियों से कहीं बिछड़ने पर, बचता नहीं कुछ मिटने पर
यह सब सहकर भी जो जीत का जज़्बा रखता है
                                                                                                   वही मनुष्य शिक्षा के बल पर प्रेरित समाज को करता है….“ (हम सबके प्रेरणा स्रोत स्वर्गीय डॉ. भंवर सिंह पोर्ते )

डॉ. भंवर सिंह पोर्ते शासकीय महाविद्यालय पेंड्रा की स्थापना 1982 में हुई थी और यह जिला बिलासपुर, वर्तमान में नवीन जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही छत्तीसगढ़ में स्थित है इस आदिवासी अंचल क्षेत्र से शिक्षा की बुनयादी स्वरुप को आकर दिया एवं वर्तमान तक लगभग दो/तीन पीढ़ियों ने उच्च शिक्षा ग्रहण कर अपने भविष्य एवं क्षेत्र को सवारने का जो श्रेय है , वह इस महाविद्यालय को जाता है. भंवर सिंह पोर्ते शासकीय महाविद्यालय उच्चतम शैक्षणिक मानकों, विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों, भव्य संकाय और विभिन्न सह-पाठयक्रम गतिविधियों और आधुनिक बुनियादी ढांचे के लिए छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख महाविद्यालय है।
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त डीबीएसपीजीसीपी कॉलेज ने उच्च शिक्षा में उच्चतम वैश्विक मानकों और सर्वोत्तम प्रथाओं को बनाए रखा है।
मुख्य बातें |
कॉलेज हर साल एक तकनीकी संगोष्ठी और खाद्य महोत्सव का आयोजन करता है। 8 एमबीपीएस स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ अच्छी तरह से सुसज्जित प्रयोगशालाएँ।

डॉ. भंवर सिंह पोर्ते आदिवासी महाविद्यालय मरवाही की स्थापना 1999 में हुई थी और यह जिला बिलासपुर, वर्तमान में नवीन जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही छत्तीसगढ़ में स्थित है । इस आदिवासी अंचल क्षेत्र से शिक्षा की बुनयादी स्वरुप को आकर दिया एवं वर्तमान में उच्च शिक्षा ग्रहण कर अपने भविष्य एवं क्षेत्र को सवारने का जो श्रेय है , वह इस महाविद्यालय को जाता है. भंवर सिंह पोर्ते आदिवासी महाविद्यालय उच्चतम शैक्षणिक मानकों के अनुसार ग्रेजुएट एवं पोस्ट ग्रेजुएट के साथ संचार क्रांति हेतु कंप्यूटर की संकाएँ भी संचालित हैं ।
महाविद्यालय की स्थापना हेतु पोर्ते परिवार ने मरवाही में दो एकड़ भूमी दान स्वरुप उपलब्ध करवाई |

डॉ. भंवर सिंह पोर्ते कला विज्ञान एवं वाणिज्य महाविद्यालय घरघोड़ा जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़ में स्थित है। जो शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालाय रायगढ़ से सम्बद्ध है इस आदिवासी अंचल क्षेत्र से शिक्षा के बुनयादी स्वरुप को आकर दिया एवं वर्तमान में उच्च शिक्षा ग्रहण कर अपने भविष्य एवं क्षेत्र को सवारने का जो श्रेय है , वह इस महाविद्यालय को जाता है. भंवर सिंह पोर्ते कला विज्ञान एवं वाणिज्य महाविद्यालय उच्चतम शैक्षणिक मानकों के अनुसार ग्रेजुएट एवं पोस्ट ग्रेजुएट के साथ संचार क्रांति हेतु कंप्यूटर की कक्षाएँ (PGDCA , B.Sc(I),B.C. A ) भी संचालित हैं ।
महाविद्यालय की स्थापना उस अंचल के आदिवासी नेता सर्व श्री फूल सिंह सिदार जी जो आदिवासी विकास परिषद् से जुड़े थे एवं डॉ. भंवर सिंह पोर्ते जी से प्रेरणा लेकर किये |

डॉ. भंवर सिंह पोर्ते कला विज्ञान एवं वाणिज्य महाविद्यालय घरघोड़ा जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़ में स्थित है। जो शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालाय रायगढ़ से सम्बद्ध है इस आदिवासी अंचल क्षेत्र से शिक्षा के बुनयादी स्वरुप को आकर दिया एवं वर्तमान में उच्च शिक्षा ग्रहण कर अपने भविष्य एवं क्षेत्र को सवारने का जो श्रेय है , वह इस महाविद्यालय को जाता है. भंवर सिंह पोर्ते कला विज्ञान एवं वाणिज्य महाविद्यालय उच्चतम शैक्षणिक मानकों के अनुसार ग्रेजुएट एवं पोस्ट ग्रेजुएट के साथ संचार क्रांति हेतु कंप्यूटर की कक्षाएँ (PGDCA , B.Sc(I),B.C. A ) भी संचालित हैं ।
महाविद्यालय की स्थापना उस अंचल के आदिवासी नेता सर्व श्री फूल सिंह सिदार जी जो आदिवासी विकास परिषद् से जुड़े थे एवं डॉ. भंवर सिंह पोर्ते जी से प्रेरणा लेकर किये |

आदिवासी समाज में शिक्षा के माध्यम से जल , जंगल , ज़मीन , के मूल मंत्र को जानने एवं अधिकार व कर्त्तव्य के प्रति जागरूकता हेतु डॉ. भंवर सिंह पोर्ते विद्यालय दर्री जिला कोरबा छत्तीसगढ़ में स्थित है। जिसकी स्थापना 1995 में सर्व श्री लोहर साय भोई एच.आर.नेताम अमोल सिंह सलाम (पूर्व एम.एल. ए.) राम सिंह जगत देवनारायण सिंह महावीर कँवर सहित आदि लोगों ने जोआदिवासी विकास परिषद् से जुड़े थे एवं डॉ. भंवर सिंह पोर्ते जी से प्रेरणा लेकर स्थापना किये
2013 में उरगा में जिला कोरबा में एक अलग विद्यालय की स्थापना हुयी |

डॉ. भंवर सिंह पोर्ते सम्मान आदिवासियों के विकास एवं उत्थान के लिए किये कार्यों के लिए छत्तीगढ़ शासन द्वारा
2015 – संत सनातन समाज गहिरा
2016 – पुरखा के सुरता जनकल्याण समिति चारभाठा, जिला दुर्ग 
2017 – बहुउद्देशीय जनजागरण सेवा समिति , रिसाली भिलाई
2020 – संभु शक्ति जनकल्याण समिति धमतरी
2021 – जंगो रायता समाज कल्याण समिति छत्तीसगढ़
2022 – तुकेश्वर कँवर छत्तीसगढ़